प्राणिक हीलिंग से किस प्रकार के रोगों का उपचार संभव है ?
प्राणिक हीलिंग द्वारा सभी प्रकार के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक रोगों एवं सौंन्दर्य रोगों का उपचार किया जाता है।
- 1. शारीरिक रोग - रक्त स्त्राव, आधे सिर का दर्द, आॅखो की गिरती रोशनी, मोतियाबिन्द, बहरापन, सांस के रोग, दमा, डायबिटिज , एन्जाईना , हृदय रोग, गुर्दे की पथरी और विकार , आंतों की सूजन, अल्सर , पाचन तंत्र के रोग, भूख न लगना, उल्टी, कब्ज व दस्त, पीलिया व लीवर के रोग, गठिया, चर्म रोग, प्रजनन संबंधित रोग , लकवा, गर्दन का दर्द, स्पान्डलाईटिस, हाई ब्लड प्रेशर, गाल ब्लैडर स्टोन, ट्यूमर, फ्रोजन सोल्डर आदि।
- 2. मानसिक एवं भावनात्मक रोग:- चिन्ता , उदासी, भय, आत्महत्या की प्रवृति, मनोविकार, मिर्गी, शराब या किसी अन्य नशे की लत आदि ।
- 3. सौन्दर्य उपचार:- प्राणिक फेशियल, मोटापा, कील मुहांसे, लम्बाई बढ़ना , जले कटे निशानो को मिटाना आदि।
प्राणिक हीलिंग से उपचार की विशेषता:-
उपचार की इस विधि में न तो मरीज को स्पर्श किया जाता है और न ही कोई दवा दी जाती है । यह विध्या दवाओं केे दुष्प्रभावों से भी मुक्त है। इसी कारण प्राणिक हीलिंग एक "बिना स्पर्श व बिना दवा" उपचार करने की पद्ति है। प्रशिक्षित उपचारक ऋषियों के द्वारा विकसित विध्याओं के माध्यम से रोगी के ओरा एवं चक्रो की स्केनिंग करते है तथा बीमार अंगो व रोगों का पता लगाकर हीलिंग द्वारा उपचार करते है।
प्राणिक हीलिंग के उपचार के रूप :-
- 1. सीधा उपचार:- इसमें प्राणिक हीलर द्वारा रोगी को सामने बैठाकर उपचार किया जाता है।
- 2. दूरस्थ उपचार (Distance Healing) :- इसमें किसी भी दूरी पर किसी भी व्यक्ति का घर बैठे उपचार कर सकते हं अर्थात् रोगी की अनुपस्थिति में भी उपचार संभव है |
- 3. स्वयं की हीलिंग:- प्राणिक हीलिंग का एक विशेष लाभ यह भी है कि आप स्वयं प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वयं अपने को स्वस्थ रख सकते है।
- 4. प्रिवेन्टिव हीलिंग:- इस उपचार पद्ति से भविष्य में होने वाले रोगो से भी बचा जा सकता है। ऊर्जा शरीर से रोगग्रस्त ऊर्जा को स्थूल शरीर में प्रवेश से तीन महिने पूर्व भी देखा जा सकता है। प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों में स्थूल शरीर की चिकित्सा की जाती है। जबकि प्राणिक उपचार में ऊर्जा शरीर के उपचार से, स्थूल शरीर के रोगो का उपचार किया जाता है।
- 5. क्रिस्टल हीलिंग :- प्राणिक हीलिंग के लिये क्रिस्टल का भी उपयोग किया जाता है। क्रिस्टल एक प्रभावशाली ऊर्जा विकिरण का स्त्रोत है। क्रिस्टल हमारे विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा को प्रभावित करते है। अधिकांश शल्य चिकित्सक, चिकित्सा से पहले और बाद में रोगी के मानसिक आघात को कम करने के लिये क्रिस्टल का उपयोग करते है इसके द्वारा दो तरह से उपचार किया जाता है । शारिरीक बीमारियों के लिये प्राणिक हिलर क्रिस्टल द्वारा ब्रह्मांड से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त कर रोगी के शरीर में प्रवाहित करते है एवं रोगी की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करते है । मानसिक शांति एवं तनाव को दूर करने के लिये व्यक्ति के विभिन्न चक्रो पर क्रिस्टल रखे जाते है। जो उचित दिशा निर्देशो के माध्यम से व्यक्ति की नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर देते है।